Site icon Unnat Kesri

Floods 2025: उत्तर भारत में बाढ़ का संकट और सितंबर की चुनौती

उत्तर भारत में बाढ़ का संकट लगातार गहराता जा रहा है। दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरनाक सीमा पार कर चुका है, हरियाणा में नदियाँ उफान पर हैं, उत्तराखंड में भूस्खलन और बादल फटने से तबाही मची हुई है, जबकि बिहार और पंजाब में लाखों लोग प्रभावित हैं। मौसम विभाग (IMD) ने सितंबर को सामान्य…

दिल्ली: यमुना फिर से उफान पर

दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर एक बार फिर खतरे के निशान से ऊपर चला गया। नदी का स्तर हाल ही में 207.46 मीटर दर्ज किया गया, जो कई इलाकों में बाढ़ का कारण बना। लोहे का पुल (Iron Bridge) यातायात के लिए बंद कर दिया गया और हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आगामी दिनों में बारिश और तेज़ हुई, तो नदी का स्तर और ऊपर जा सकता है।
(Reuters, 4 सितम्बर 2025)

हरियाणा: नदियों का उफान और गांवों में जलभराव

हरियाणा के अंबाला और कुरुक्षेत्र में मार्कंडा और गगर नदियों ने तटबंध तोड़ दिए हैं। गाँवों में 6–8 फुट तक जलभराव की खबर है, जिससे फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं। जिला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य तेज़ कर दिए हैं, लेकिन अभी भी कई इलाकों में जलनिकासी संभव नहीं हो पा रही है।

उत्तराखंड: भूस्खलन और वन्यजीवों की हानि

उत्तराखंड में लगातार बारिश ने भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं को जन्म दिया है। रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में सड़कें अवरुद्ध हैं और चारधाम मार्ग बार-बार बंद हो रहा है। इस बीच एक दर्दनाक घटना में एक तेंदुआ बाढ़ के पानी में बह गया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। यह राज्य की गंभीर पर्यावरणीय और पारिस्थितिक क्षति को उजागर करता है।

बिहार और पंजाब: लाखों लोग प्रभावित

बिहार में गंगा, कोसी और बागमती नदियों के उफान ने अब तक 17–25 लाख लोगों को प्रभावित किया है। दर्जनों गाँव जलमग्न हैं और राहत शिविरों में लोगों को पनाह दी जा रही है।
वहीं, पंजाब और हिमाचल सहित उत्तर-पश्चिम भारत ने इस अगस्त में 2001 के बाद की सबसे अधिक बारिश झेली। यहाँ 265 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जिसने पूरे इलाके को जलमग्न कर दिया।

मॉनसून का आँकड़ा और आगे की आशंका

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, इस साल अगस्त का आख़िरी पखवाड़ा पिछले 14 वर्षों में सबसे अधिक वर्षा वाला रहा। सिर्फ़ 14 दिनों में सामान्य से 37% अधिक बारिश दर्ज की गई।
सितंबर में भी देशभर में औसत से अधिक वर्षा (लगभग 109%) की संभावना जताई गई है। इसका मतलब है कि बाढ़ का खतरा अभी टला नहीं है, बल्कि आने वाले हफ्तों में जलस्तर बढ़ सकता है और शहरी बाढ़ तथा भूस्खलन की घटनाएँ और बढ़ेंगी।
(TOI, 3 सितम्बर 2025, TOI, 4 सितम्बर 2025)

उत्तर भारत में बाढ़ अब सिर्फ़ एक स्थानीय आपदा नहीं, बल्कि एक क्षेत्रीय संकट बन चुकी है। दिल्ली से लेकर बिहार तक, और उत्तराखंड की पहाड़ियों से लेकर हरियाणा के गाँवों तक, जीवन अस्त-व्यस्त है। मौसम विभाग की चेतावनी साफ़ है—सितंबर का महीना और कठिनाइयाँ लेकर आएगा।
इसलिए प्रशासनिक सतर्कता, लोगों की जागरूकता और राहत-बचाव की तेज़ गति ही इस त्रासदी से निपटने का एकमात्र उपाय है।

Exit mobile version