ब्रह्मसरोवर पर पर्यटकों के मन को भा गई मध्यप्रदेश की शिल्पकला

ब्रह्मसरोवर पर पर्यटकों के मन को भा गई मध्यप्रदेश की शिल्पकला

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

  • अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2022 में पार्टनर स्टेट मध्य प्रदेश से 7 शिल्पकार पहुंचे ब्रह्मसरोवर पर
  • पर्यटकों को मध्य प्रदेश की 7 शिल्पकलाओं को देखने का मिलेगा अवसर
  • महोत्सव में पहली बार जन जाति संग्रहालय भोपाल के माध्यम से कुरुक्षेत्र पहुंचे शिल्पकार

उन्नत केसरी

कुरुक्षेत्र 22 नवंबर: अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2022 में ब्रह्मसरोवर के पावन घाटों पर जहां 23 राज्यों की शिल्पकला को देखा जा सकता है, वहीं महोत्सव में पहली बार मध्य प्रदेश से पहुंचे शिल्पकारों की शिल्पकला पर्यटकों के मन को भा गई है। इस महोत्सव में पहली बार मध्यप्रदेश को पार्टनर स्टेट बनाया गया है। इस राज्य से 7 शिल्पकार अपनी-अपनी शिल्पकला को लेकर महोत्सव में पहुंचे है।

ब्रह्मसरोवर के चारों तरफ शिल्पकला की महक पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है। इस महोत्सव में शिल्पकला की महक को दुगना करने के लिए मध्यप्रदेश से 7 शिल्पकार पहली बार कुरुक्षेत्र पहुंचे है। इनमें मोहम्मद सिराज जूट क्राफ्ट, विजय कुमार खरादी वुड टावयस, कमलेश कुमार राठौर एम्ब्रोएडेड क्रास्टेड, मोसीन खान जरी गुडस, बिमलेश कुमार डॉल एडं टायॅस, मोहम्मद सोहल हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग, नाजीर मुज्जफर जरी एंड जरी गुडस की शिल्पकला को लेकर पहुंचे है। इन शिल्पकारों को जनजाति संग्रहालय भोपाल के माध्यम से पहली बार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में भेजा गया है। यह पहली बार इसलिए पहुंचे है क्योंकि मध्यप्रदेश इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में पार्टनर राज्य के रूप में शामिल हो रहा है।

उपायुक्त शांतनु शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयासों से ही इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में मध्यप्रदेश को पार्टनर राज्य और नेपाल को पार्टनर देश के रूप में आमंत्रित किया गया है। इस आमंत्रण के बाद ही मध्यप्रदेश में शिल्पकारों को शिल्पकला के साथ कुरुक्षेत्र में भेजा है। इन कलाकारों ने ब्रह्मसरोवर के घाटों पर अपनी शिल्पकला को बिखेरने का काम किया है। इनकी शिल्पकला को पर्यटक खूब पसंद कर रहे है। इन शिल्पकारों को सरकार और प्रशासन की तरफ से नियमानुसार तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी, किसी शिल्पकार को रत्तीभर भी परेशानी नहीं आने दी जाएगी। इस प्रदेश की सबसे प्रसिद्ध गोंड टेरिबल आर्टस विशेष तौर पर ब्रह्मसरोवर के उत्तरी घाट पर देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा कि यह शिल्पकार 6 दिसंबर तक महोत्सव में रहेंगे। इस शिल्पकला के साथ-साथ मध्यप्रदेश की तरफ से पुरुषोत्तमपुरा बाग में एक पवेलियन भी लगाया जाएगा। इस पैवेलियन में मध्यप्रदेश की संस्कृति देखने और जानने का अवसर मिलेगा।

नर्मदा नदी के तट पर जन्मी गोंड ट्राइबल आर्ट ने किया पर्यटकों को आकर्षित

मध्य प्रदेश पार्टनर राज्य के बीच बहने वाली नर्मदा नदी के तट पर बसे गांव डिंडोरी की गोंड ट्राइबल आर्ट्स पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस प्रसिद्ध कला को पहली बार अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के स्टॉल नंबर 116 पर देखा जा सकता है। यह शिल्पकला अपने आप में एक अनोखी शिल्पकला है। इस शिल्पकला के लिए एक्रेलिक्स रंग और कैनवस का प्रयोग किया जाता है। इस शिल्पकला को महोत्सव में आने वाले पर्यटक खुब सराहा रहे है।

मध्य प्रदेश के गांव ढिंढौरी से आए संतु सिंह टेकम का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2022 में पहली बार आए है। इस बार मध्य प्रदेश पार्टनर राज्य होने के कारण जनजाति संग्रहालय भोपाल की तरफ से भेजा गया है। इस महोत्सव में मध्य प्रदेश की प्रसिद्ध पेंटिंग कला को लेकर आए है। इस पेंटिंग कला को गोंड ट्राइबल आर्ट के नाम से जाना जाता है। यह आर्ट पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस कला को वर्ष 2006 से अडोप्ट किया था और अपने पूर्वजों से इस कला की सौगात मिली थी। इस कला को लेकर उन्हें दिल्ली, लखनऊ सहित अन्य राज्यों में विशेष प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित भी किया जा चुका है।

उन्होंने कहा कि यह कैनवस पर एक्रिलिक रंग से ब्रश के माध्यम से की जाती है, यह सारा कार्य हाथ के साथ किया जाता है और कुछ पेंटिंग हैंडमेड पेपर पर भी बना कर लाए है। इस आर्ट के जरिए वॉल पेंटिंग, होटल, कार्यालयों में भी किसी विशेष थीम को लेकर पेंटिंग की जा सकती है। इस महोत्सव में पृथ्वी और पर्यावरण थीम पर कैनवस पेंटिंग बनाकर लाए है। इन पेंटिंग की कीमत 1 हजार रुपए से लेकर 55 हजार रुपए तक है।

जरी के सूट और कढ़ाई वाले बटुए भी आकर्षित कर रहे है पर्यटकों को

मध्य प्रदेश पार्टनर राज्य की उभरती हुई शिल्पकार यास्मीन खान। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में अपने बहनों, बेटियों के लिए जरी के सूट और बटुए बनाकर लाई है। इस महोत्सव को अपनी आंखों से देखने का पहला अवसर है। इस पहले अवसर में ही ब्रहमसरोवर की फिजा उनके मन को भा गई है। इसके साथ ही जरी की कढ़ाई के सुट और बटुओं को पर्यटक खुब पंसद कर रहे है।

शिल्पकार यास्मीन खान ने स्टॉल नंबर 115 पर मध्य प्रदेश की जरी और कढ़ाई वाले बटुओं की शिल्पकला को सजाया है। उन्होंने बातचीत करते हुए कहा कि पिछले 10 सालों से जरी की कढ़ाई के सुट और बटुए बनाने के साथ-साथ ज्वैलरी तैयार करने का काम कर रही है। इस कला को मध्य प्रदेश में खुब प्रसिद्घी मिली है। अब महोत्सव में पहली बार आने के बाद यह महसूस ही नहीं हो रहा है कि इस कला के यहां कद्रदान नहीं है। इस महोत्सव में महिलाओं और बेटियों के लिए 1 हजार रुपए से लेकर 6 हजार रुपए तक के बेहद उम्दा कढ़ाई के सूट लेकर आई है। उन्होंने कहा कि बेटियों के लिए छोटे-छोटे बटुए और नौकरी पेशा महिलाओं के लिए कुछ बड़े साईज के बटुए लेकर आई है। उनके स्टॉल पर 200 रुपए से लेकर 600 रुपए तक की कीमत का बटुआ है, उनकी कला को पर्यटक खुब पंसद कर रहे है।