वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
कुरुक्षेत्र, 28 जुलाई : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के हेल्थ सेंटर के एडमिनिस्ट्रेटर, गैपियो सदस्य, आरएसएसडीआई मेंबर एवं मेडिकल ऑफिसर, डॉ. आशीष अनेजा ने वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे पर लोगों को जागरूक करते हुए बताया कि हेपेटाइटिस मूल रूप से लीवर से जुड़ी बीमारी है, जो वायरल इन्फेक्शन के कारण होती है। इस बीमारी में लीवर में सूजन आ जाती है जिससे पाचन तंत्र भी खराब रहने लगता है। हेपेटाइटिस में ए,बी,सी,डी और ई पांच प्रकार के वायरस होते हैं जिसमें से बी और सी वायरस के कारण लीवर सिरोसिस और कैंसर जैसी बिमारियां से लाखों लोग ग्रसित हो रहे हैं।
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अक्यूट हेपेटाइटिस की शुरुआत में बहुत स्पष्ट लक्षण नहीं दिखायी पड़ते हैं लेकिन, इंफेक्शियस और क्रोनिक हेपेटाइटिस में जॉन्डिस या पीलिया,यूरीन का रंग बदलना, बहुत अधिक थकान, उल्टी या जी मिचलाना, पेट दर्द और सूजन, खुजली, भूख ना लगना या कम लगना, अचानक से वज़न कम हो जाना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
क्या हो सकते हैं इसके कारण
हेपेटाइटिस के मुख्य कारणों में वायरल इन्फेक्शन खासकर, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी वायरल इंफेक्शन शामिल है। इसके साथ ही जब कोई बहुत अधिक शराब या अल्कोहल का सेवन करता है, तो उस व्यक्ति में भी हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ जाता है। कुछ विशेष दवाइयों के ज़्यादा सेवन से लीवर सेल्स में सूजन होने लगती है और हेपेटाइटिस का रिस्क बढ़ जाता है।
इन बातों का रखे ख्याल
हेल्दी डायट की मदद से हेपेटाइटिस की समस्या को मैनेज करना आसान हो जाता है हालांकि, स्थिति की गम्भीरता और लीवर की सूजन के आधार पर डायट निर्धारित की जाती है। डायट में फूलगोभी, ब्रोकोली, बीन्स, सेब, एवाकाडो का समावेश करें। प्याज़ और लहसुन जैसे पारम्परिक मसालों को अपने भोजन में शामिल करें। खूब पानी पीएं, ताज़े फलों का जूस पीएं। अल्कोहल व गेंहू का सेवन कम करें। जंक फूड, मैदे से बने फूड्स, प्रोसेस्ड फूड और मीठी चीज़ों के सेवन से बचें। भोजन को चबा-चबाकर खाए जिससे भोजन पचने में आसानी होगी।