लेखक- डॉ. अशोक कुमार वर्मा
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्वास्थ्य दृष्टि से विश्व भर में अनेक ऐसे अभियान चलाए गए हैं ताकि मनुष्य मात्र स्वस्थ जीवन जी सके। इनमें एड्स को लेकर भी विशेष अभियान चलाया गया है। पुरे विश्व में 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका आरम्भ वर्ष 1988 से हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य एड्स के बारे में जागरूकता, इस विषय पर अनुसंधान और उन्मूलन को लेकर मंथन करने से है। एड्स का पूरा नाम ‘एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम’ (Acquired Immune Deficiency Syndrome) है।
यह एक विषाणु है जिसका नाम HIV (Human immunodeficiency virus) है। 1980 के दशक में एड्स को लेकर लोगों के मन में बहुत अधिक भय और विभिन्न धारणाएं और भ्रांतियां थी जिसको दूर करने के लिए हमारे भारत में भी इसको लेकर टेलीविज़न और समाचार पत्रों के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम किए गए ताकि लोगों में इस विषय पर जागरूकता हो और इस व्याधि पर नियंत्रण किया जा सके। यह एक विश्व व्यापी समस्या है। आपको बता दें कि साथ खाने-पीने, छूने, हाथ मिलाने या चूमने से एचआईवी नहीं फैलता है, न ही एचआईवी हवा, पानी या कीड़े के काटने से फैलता है। वास्तव में यह कब होता है? इस पर थोड़ा प्रकाश डालते हैं।
ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (अर्थात HIV) मनुष्य के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को गंभीर रूप से क्षति पहुंचाता है। यह मनुष्य के शरीर को इतना अधिक जर्जर कर देता है कि मनुष्य के शरीर की व्याधियों से प्रतिरोध करने की क्षमता समाप्त हो जाती है। यही कारण है कि ऐसे व्यक्ति का शरीर संक्रमित हो जाता है। एचआईवी वायरस एक क्रोनिक और लाइफ थ्रेटनिंग स्थिति है। विशेषज्ञों के अनुसार HIV के कारण ही AIDS रोग होता है। वैसे तो विभिन्न कारण हैं लेकिन आज जहां संसार में ड्रग्स की समस्या गंभीर हो रही है वहीँ अवैध इंजेक्शन का प्रयोग इसका एक कारण बन रहा है। एक ही सुई से अनेक लोगों को इंजेक्ट करना इसका एक मुख्य कारण है।
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यद्यपि अब इस पर पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध हैं लेकिन नशा करने वाले लोगों को सुई उपलब्ध नहीं हो पाती अथवा मेडिकल स्टोर वाले किसी व्यक्ति को ये नहीं बेच सकते तो ऐसे में ड्रग इंजेक्ट करने वाले लोग एक ही सुई को बार बार लगाते हैं और इतना ही नहीं एक सुई से अनेक लोग ड्रग्स इंजेक्ट करते हैं तो HIV पॉजिटिव होने का संकट बहुत अधिक बढ़ जाता है। युवाओं में इसका प्रचलन और उपयोग एक चिंता का विषय है। ऐसे ड्रग यूजर्स एचआईवी पीड़ित हो रहे हैं। नशा लेने वाले युवाओं में अनेक व्याधियां उत्त्पन्न हो रही हैं। अनेक ऐसे मामले सामने आए जिसमें युवाओं ने एक साथ दो इंजेक्शन लगाए और वहीं पर उनकी मृत्यु हो गयी।
भारत सरकार नशा मुक्त अभियान के लिए युद्ध स्तर पर कार्य कर रही है तो दूसरी और अनेक राज्य भी इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं लेकिन इसके साथ जागरूकता सबसे उपयोगी शस्त्र सिद्ध हो सकता है क्योंकि जागरूकता के अभाव में युवा इस और जा रहे हैं। सबसे अधिक आवश्यकता निम्न स्तर पर जीवन यापन कर रहे लोगों तक भी जागरूकता करने की आवश्यकता है। यद्यपि सरकार द्वारा ऐसे ड्रग यूजर के सुधार के लिए बहुत उपाय किए गए हैं। सरकार द्वारा चलाए गए नशा मुक्ति केंद्रों में निशुल्क उपचार संभव है। इसके साथ कई शहरों में भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी द्वारा भी इंजेक्टिंग ड्रग यूजर के सुधार के लिए निशुल्क सुविधा उपलब्ध हैं तथापि इस समस्या को समूल नष्ट करने के लिए और अधिक कठोर नियम बनाने की आवश्यकता है।