उन्नत केसरी । वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
- प्राचीन भारतीय विज्ञान का विश्व के हर क्षेत्र में अहम् योगदान : प्रो. सोमनाथ
कुरुक्षेत्र, 17 मई: कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने मंगलवार को कुवि के फिजिक्स विभाग के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व प्रोफेसर प्रो. डीके चतुर्वेदी की पुस्तक साइंस इन एशियंट इंडिया का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक भारतीय सभ्यता में विज्ञान और तकनीक पारंपरिक रूप से शामिल रहे हैं। प्राचीन भारतीय विज्ञान का विश्व को हर क्षेत्र में अहम् योगदान है। विज्ञान के कुछ क्षेत्रों जैसे गणित, ज्योतिष, धातु विज्ञान आदि के क्षेत्र में भारत के लोगों ने जो अविष्कार किये तथा सफलता प्राप्त की वह सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है। भारतीयों की वैज्ञानिक बुद्धि का परिचय प्राचीन कालीन इतिहास से मिलता है। पाषाण कालीन मानव ही विज्ञान की कुछ शाखाओं- वनस्पति शास्त्र, प्राणी शास्त्र, ऋतु शास्त्र आदि का जन्मदाता है।
पुस्तक के लेखक प्रो. डीके चतुर्वेदी ने बताया कि इस पुस्तक के सात चैप्टर है जिसमे हिन्दू संस्कृति और परम्पराएं, प्राचीन विज्ञान में बौद्वायन सूत्र, वामन संहिता, अगस्त्य संहिता, मेडिकल साइंस, भारतीय गाय एवं पैटेंट, गणित एवं खगोल के अंतर्गत आर्यभट्ट, माधवाचार्य, श्रीनिवास रामानुजन, फिजिकल साइंस तथा साइंटिफिक बिल्डिंग के अंतर्गत खजुराहो मंदिर, कोणार्क मंदिर व जंतर मंतर के विषय में विस्तार से बताया गया है। इस पुस्तक में प्राचीन भारतीय विज्ञान के विषय के हर पहलू के बारे में चर्चा की गई है।
इस मौके पर कुवि के पूर्व डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. गिरीश चोपड़ा, डीन ऑफ कालेजिज़ प्रो. अनिल वोहरा, डीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रो. पवन शर्मा, दूरवर्ती शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. प्रदीप कुमार, प्रो. आरके मोदगिल, लोक सम्पर्क विभाग के उप-निदेशक डॉ. दीपक राय बब्बर व कुलपति ओएसडी पवन रोहिल्ला मौजूद थे।