रूस-यूक्रेन वार्ता का रुकना शांति प्रक्रिया पर एक बड़ा झटका माना जा रहा है। आगे की दिशा इस पर निर्भर करेगी कि दोनों पक्ष कितनी रियायत देने को तैयार होते हैं और क्या कोई तटस्थ मध्यस्थता मंच उपलब्ध हो पाता है या नहीं।
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कीव/मॉस्को, 12 सितम्बर — रूस और यूक्रेन के बीच चल रही शांति वार्ताओं पर फिलहाल विराम लग गया है। क्रेमलिन ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि वार्ता “रुकी हुई” है और इस स्थिति के लिए उसने कुछ यूरोपीय देशों को ज़िम्मेदार ठहराया है।
क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि बातचीत के औपचारिक दौर भले ही स्थगित हों, लेकिन “संचार चैनल खुले हैं और काम कर रहे हैं।” (स्रोत: Reuters) उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यूरोप वार्ता की प्रगति को बाधित कर रहा है।
इसी बीच, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संकेत दिया है कि वे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की से मॉस्को में मिलने के इच्छुक हैं, बशर्ते बैठक ठोस नतीजे लेकर आए। (स्रोत: India Today) हालांकि, ज़ेलेंस्की ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और कहा कि कोई भी बैठक केवल “तटस्थ स्थान” पर ही संभव है।
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यूक्रेन का पक्ष यह है कि शांति प्रक्रिया तभी आगे बढ़ सकती है जब रूस आक्रामक कार्रवाइयों को कम करे और वार्ता का स्थल निष्पक्ष हो। साथ ही, कीव लगातार अमेरिका और यूरोपीय संघ से रूस पर और कठोर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहा है। (स्रोत: Reuters)
अब तक हुई वार्ताओं में केवल मानवीय मुद्दों—जैसे कैदियों की अदला-बदली और शवों की वापसी—पर आंशिक सहमति बनी है। लेकिन मुख्य विवादास्पद बिंदु जैसे—कब और किन शर्तों पर युद्धविराम होगा, किन क्षेत्रों पर किसका नियंत्रण रहेगा, तथा यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी कैसी होगी—अब भी सुलझे नहीं हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि यह विराम संकेत देता है कि कूटनीतिक प्रयास गंभीर दबाव में हैं। रूस का यह आरोप कि यूरोप वार्ता में बाधा डाल रहा है, संभवतः अंतरराष्ट्रीय जनमत को प्रभावित करने की कोशिश भी हो सकता है।
