उत्तर भारत में बाढ़ का कहर: नदियाँ उफान पर, जान-माल की चिंता बढ़ी

उन्नत केसरी

उत्तराखंड में बादल फटने और भूस्खलन

उम्मीदों के विपरीत, जब अगस्त के अंतिम सप्ताह में उत्तराखंड ने चैन की साँस लेनी चाही, तो अचानक हुए बादल फटने (क्लाउडबर्स्ट) और भूस्खलनों ने फिर ताप हरियाली घाटियों में त्रासदी फैला दी।
29 अगस्त को रुद्रप्रयाग, चमोली और आसपास के जिलों में अचानक भारी वर्षा से कई लोग लापता हुए और कुछ की मौत हो गई। राहत-बचाव कार्य अभी भी जारी हैं, जबकि चार धाम मार्ग बार-बार बंद हो रहे हैं। अगस्त की पहली ग़िरावट (5–11 अगस्त) में उत्तरकाशी में भी भूस्खलन और बाढ़ ने जनजीवन और यातायात को पूर्वाभास दिए बिना प्रभावित किया। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) और भारतीय सेना के जवानों को बचाव कार्य में लगाया गया। मुख्य मार्गों पर मलबा हटाने का काम धीमा, लेकिन जारी है।
मौसम विभाग (IMD) ने पश्चिमी हिमालय में रेड अलर्ट जारी किया है और केंद्रीय टीमों को राज्य में भेजा गया है। हालात अभी भी अनिश्चित हैं और अगस्त–सितंबर के संक्रमण काल में और बादल फटने की आशंका बनी हुई है।

बिहार में विनाशकारी बाढ़ का फैलाव

गंगा के मध्यम बेसिन पर लगभग पूरे अगस्त में भारी बारिश ने तबाही मचा दी। 12–13 अगस्त को राज्य के लगभग 10–12 जिलों जैसे पटना, भागलपुर, मुंगेर, सारण, सुपौल में लगभग 17–25 लाख लोग प्रभावित हुए।
गंगा, कोसी, बागमती, पनपुन और घाघरा नदियाँ अपने खतरे के स्तर से ऊपर बह रही थीं, जिनमें सबसे ज़्यादा तबाही नेपाल से आने वाले पानी के कारण हुई। राज्य सरकार ने सीएम की अध्यक्षता में लगातार समीक्षा बैठकें कीं; राहत शिविर, सामुदायिक रसोईगृह और फसल हानि पर मुआवजे की प्रक्रिया तेज़ की जा रही है।
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग दैनिक आधार पर स्थिति अपडेट जारी कर रहा है, जिससे राहत-कार्य और सतर्कता बेहतर बनी हुई है।

हरियाणा में नदियों का उफान

हरियाणा में बाढ़ से जुड़ी चिंताएँ दो मुख्य प्रवाहों — यमुना (हठनिकुंड बांध के माध्यम से) और Markanda–Ghaggar — के कारण बढ़ी हैं।
18 अगस्त को हठनिकुंड बांध से लगभग 1.78 लाख क्यूसेक (cusecs) पानी छोड़ा गया, जिससे यमुना का जलस्तर मध्य-उच्च स्तर (मीडियम फ्लड) पर पहुंच गया।
साथ ही, शहादाबाद (कुरुक्षेत्र) और सिरसा में Markanda और Ghaggar नदियों में उफान ने कृषि भूमि और निम्नवाटिका इलाकों को जलमग्न कर दिया। प्रशासन ने तटबंधों को सुदृढ़ किया और स्थानीय स्तर पर सतर्कता बढ़ाई।

दिल्ली में यमुना का दहशत भरा जल स्तर

दिल्ली में अगस्त के अंतिम पखवाड़े में यमुना ने बार-बार 205.33 मीटर के ‘खतरे’ अंक को पार किया। 19 अगस्त को जलस्तर 205.9–205.95 मीटर के आसपास पहुँच गया, जो निकासी (evacuation) के लिए निर्धारित 206 मीटर के निकटतम रहा।
Hathnikund Barrage से जारी पानी दिल्ली तक लगभग दो दिनों में पहुँचा, जिससे नदी कई बार उफान पर चली और उत्तर-पूर्व दिल्ली के Yamuna Bazaar जैसे कम ऊँचे इलाकों में जलभराव हुआ।
पिछली सर्वाधिक ऊँची स्थिति 11 जुलाई, 2023 को 208.66 मीटर रही—तब उस आपातकालीन स्थिति को भारी सावधानी के साथ भोगा गया था।

अगस्त का अंत और भविष्य का परिदृश्य

28 अगस्त और 1 सितंबर को IMD ने राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना जताई है, विशेषकर उत्तराखंड, दक्षिण हरियाणा, दिल्ली और आसपास के प्रदेशों में। इससे उजागर होता है कि मानसून अभी खत्म नहीं हुआ है और मानसून की तीव्रता बनी हुई है।
विशेष रूप से फास्ट-फ्लड और शहरी बाढ़ की घटनाएँ बढ़ सकती हैं, जब भारी बारिश गहरी घाटियों, ऊँची ढलानों और संतृप्त नदी बेसिनों पर टकराएगी। राज्य सरकारों से सतर्कता, अग्रिम सूचनाएं (गेज-विशिष्ट अलर्ट) और बचाव कार्यों को शीघ्र बढ़ाने की अपील की गई है।


तत्काल उपयोग के लिए तथ्यों का सारांश

क्षेत्रमुख्य समस्याप्रमुख घटना / तिथि
उत्तराखंडबादल फटना, भूस्खलन, सड़क अवरुद्धताचमोली-रुद्रप्रयाग (29 अगस्त), उत्तरकाशी (5–11 अगस्त)
बिहारगंगा-प्रवाहियों में बाढ़, लाखों लोग प्रभावित10–12 जिले, 17–25 लाख लोग, 12–13 अगस्त
हरियाणानदी उफान—यमुना, Markanda–GhaggarHathnikund से 18 अगस्त को 1.78 लाख क्यूसेक पानी
दिल्लीयमुना खतरे के स्तर के पास19 अगस्त को 205.95 मीटर; निकासी सीमा 206 मीटर
समग्र पूर्वानुमानसितंबर में सामान्य से अधिक वर्षा की आशंकाIMD की भविष्यवाणी, मौसम विभाग अलर्ट (28 अगस्त–1 सितंबर)