उन्नत केसरी । वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर डा. आशीष अनेजा ने किया आमजन को जागरूक
कुरुक्षेत्र, 28 जुलाई: कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के मेडिकल ऑफिसर एवं एडमिनिस्ट्रेटर हेल्थ सेंटर, गैपियो सदस्य, आरएसएस डीआई मेम्बर डॉ. आशीष अनेजा ने विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि हेपेटाइटिस का मतलब उस अंग में सूजन होना होता है जो पोषक तत्वों को प्रोसेस करता है, खून को फिल्टर करता है, और संक्रमण से लड़ता है। यानी यह अंग लीवर है व लीवर में होने वाली सूजन को हेपेटाइटिस कहते हैं। जब लीवर में सूजन या डैमेज होता है, तो लीवर का कार्य प्रभावित हो सकता है। ज्यादा शराब पीने, विषाक्त पदार्थ, कुछ दवाएं और कुछ चिकित्सीय स्थितियां हेपेटाइटिस की समस्या को जन्म देती है।
उन्होंने कहा कि हेपेटाइटिस आमतौर पर गंदे पानी व भोजन के सेवन होना शुरू होता है। हेपेटाइटिस – ए, ई के इन्फेक्शन की शुरुआत दूषित जल और दूषित भोजन से होती है। इसके अलावा खुले में शौच, हाथ न धोना और सीवर आदि की सफाई करने वाले लोगों में हेपेटाइटिस तेज़ी से फैलना शुरू होता है। वहीं हेपेटाइटिस-बी और सी संक्रमित व्यक्ति को लगाए गए इंजेक्शन को दोबारा किसी व्यक्ति में लगा देने से होती है। हेपेटाइटिस-बी से संक्रमित मरीज़ का खून किसी दूसरे व्यक्ति को चढ़ा देने से भी संक्रमण फैल सकता है।हेपेटाइटिस-बी और सी संक्रमित व्यक्ति से यौन संबंध बनाने से भी फैल सकता है। हेपेटाइटिस से संक्रमित होने पर सबसे पहले मरीज के लिवर में खराबी होना शुरू होती है।
डॉ. अनेजा ने बताया कि संक्रमण की शुरुआत होने पर मरीज के लिवर में सूजन शुरू होती है और धीरे-धीरे लिवर खराब होने लगता है। डॉ. अनेजा ने कहा कि इस तरह का कोई भी लक्षण अगर शरीर में दिखाई दे तो मरीज को लापरवाही नहीं करनी चाहिए तुरंत डॉक्टर के पास जाकर सलाह लेनी चाहिए। वहीं दूसरी ओर इस डर से बाहर निकलने के लिए अगर कुछ व्यक्तिगत तौर पर सावधानियां बरती जाए तो इन सभी समस्याओं से छुटकारा भी पाया जा सकता है, जैसे बाहरी वस्तुओं के खानपान पर प्रतिबंध एवं ठंडे पेय पदार्थों का सेवन ना किया जाए तो इन समस्याओं से काफी हद तक बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ शरीर मनुष्य का सबसे सुंदर गहना होता है, लेकिन आजकल की युवा पीढ़ी इस बात को समझने में असमर्थ है और उनका ध्यान बाहरी फास्ट फूड पर ज्यादा रहता है यही कारण है कि आजकल युवा पीढ़ी में अनेक बीमारियां देखने को मिल रही है।