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सरस्वती के घाट होंगे पुनर्जीवित और शुरू होगा पिंडदान और तर्पण

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 8 जुलाई: पवित्र सरस्वती नदी के घाट अब फिर से पुनर्जीवित होंगे और वहां पिंडदान और तर्पण का कार्य फिर से शुरू होगा। इस कड़ी में सबसे पहला तर्पण कार्यक्रम पिपली स्थित सरस्वती रिवर फ्रंट घाट पर गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर 10 जुलाई होगा। इस अवसर पर कई संत, महात्मा भी उपस्थित रहेंगे। विद्वान पंडितों द्वारा मंत्रोचारण और विधि विधान के साथ उपस्थित लोगों को पितरों के निमित तर्पण करवाया जाएगा। क्योंकि सबसे बड़ा गुरु माता पिता को कहा गया है। ये कहना है सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के वाइस चेयरमैन धूमन सिंह किरमच का। वे आज कुरुक्षेत्र के हिरमी के सभागार में सरस्वती सेवा समिति की बैठक ले रहे थे। इस बैठक में समिति के सभी सदस्यों, बोर्ड से जुड़े अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में धूमन सिंह किरमच और सिंचाई विभाग के अधीक्षक अभियंता अरविंद कौशिक ने सब्जी सदस्यों के समक्ष सरस्वती नदी के विकास, संरक्षण और चल रहे कार्यों को लेकर विस्तार से जानकारी दी।

इस दौरान सभी सदस्यों ने सरस्वती नदी की सफाई, स्वच्छ पानी के बहाव और अन्य विषयों को लेकर अपने सुझाव दिए।

धूमन सिंह किरमच ने बताया कि सरस्वती नदी में स्वच्छ और निर्माण पानी की धारा के बहाव, स्वच्छता को लेकर केंद्र और प्रदेश सरकार लगातार कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि पवित्र सरस्वती नदी के घाट अब फिर से पुनर्जीवित होंगे और वहां पिंडदान और तर्पण का कार्य फिर से शुरू होगा। वीरवार 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर पिपली सरस्वती घाट पर पहला तर्पण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह परंपरा आने वाले दिनों में सरस्वती के सभी घाटों पर शुरू होगी जो लगातार जारी रहेगी जहां किसी सरस्वती के घाट पर पहले भी पिंडदान और तर्पण हुआ करते थे और वह आज के दिन आलोक हो गए हैं वहां भी यह परंपरा शुरू की जाएगी। और जिन घाटों पर ये परम्परा जारी है, उन घाटों को भव्य रूप दिया जाएगा।
धूमन सिंह किरमच ने कहा कि सरस्वती नदी की पवित्रता और स्वच्छता बरकरार रखने हेतु इसे जन आंदोलन का रूप दिया जाएगा। जनता सरस्वती नदी में गंदगी न डाले, सरस्वती के प्रति लोगों की आस्था और श्रद्धा और बढ़े, इस उद्देश्य से शिक्षण संस्थानों और अन्य स्थानों पर सेमिनार भी आयोजित किए जाएंगे।

बैठक में समिति के सदस्य हरीश अरोड़ा, गौरव भट्ट, कृष्ण धमीजा, डॉ. राजेश वधवा, विनोद जिंदल, दीपक चौहान, बलविंदर सिंह, रमेश सैनी, प्रदीप रोशा, अमित रोहिला , श्याम सैनी मोनू बाहरी,अकास अग्रवाल हिरमी के कार्यकारी अभियंता अरविंद कौशिक एक्सएन नवतेज सिंह आदि मौजूद रहे।

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