- सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ. सुमित्रा अग्रवाल, कोलकाता (Celebrity Vastu Expert Dr Sumitra Aggarwal)
- इंटरनेशनल वास्तु अकादमी सिटी प्रेजिडेंट कोलकाता
कोलकाता: सूर्यग्रहण (Surya Grahan 2022) अमावस के दिन पड़ता है। सूर्यग्रहण पड़ने पर दिन के समय कभी-कभी लम्बे समय तक अर्थात् कई घंटो तक पूर्ण अंधेरा हो जाता है। सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर दिखाई नहीं देती है। इसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहते हैं। कभी-कभी अंधेरा कम समय के लिये या कुछ घंटो के लिये ही होता है। थोड़े समय के लिये प्रकाश हट जाता है। इसे खग्रास सूर्यग्रहण कहते हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि सूर्यग्रहण तो होता है किन्तु हमारे देश भारत में दिखाई ही नहीं पड़ता है। पृथ्वी के दूसरे देशों / भागों में ही दिखाई पड़ता है।
क्या सूर्य ग्रहण को देखना चाहिए
सूर्यग्रहण को खुली आँखों से न देखें। आँखों को तकलीफ हो सकती है।नेत्र विकार हो सकता है। नेत्र ज्योति कम होसकती हैं। जातक को चश्मा लगवाना पड़ सकता है। ग्रहण काल में सूर्य को रंगीन चश्मे या सूक्ष्मदर्शी लेन्स से देखना ठीक रहता है।
जन्मपत्रिका में ग्रहण दोष क्या है
ग्रहण दोष कारण सूर्यग्रहणके समय के नक्षत्र/राशि में जन्म होने की स्थिति में जातक/जातिका को ग्रहण दोष लगता है।
ग्रहण में जन्म लेने से क्या होता है
शारीरिक पीड़ा, मानसिक वेदना व हिस्टीरिया जैसे रोग से गुजरना पड़ सकता है। यह स्थिति सूर्यग्रहण के समय १२ घंटे तक हो सकती है। कभी-कभी मानसिक पीड़ा असहनीय होती है।
ग्रहण दोष का निवारण
जिनका जन्म सूर्य ग्रहण में हुआ है उनको पीड़ा निवारण हेतु प्रतिवर्ष सूर्यग्रहण काल में भूतल / बोरिंग के जल से स्नान करके पूजन करना चाहिये और सूर्य ग्रह के मन्त्र का जप करना चाहिए। किसी अधेड़ छत्रिय को सूर्य की वस्तुओं का दान करना चाहिए। पीड़ा शान्त होगी और आराम मिलेगा।
सूर्य का मंत्र
ॐ घृणि सूर्याय नम:
जाप संख्या : 7000 बार।
सूर्य का दान
गेहू, गुड़, केसर , लाल वस्त्र, तांबा का दान करे।
-सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ. सुमित्रा अग्रवाल, कोलकाता