वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
- सत्य तत्व जिसे आस्तिक तथा नास्तिक दोनों ही मानते हैं
- सत्य स्वरूप ही परमात्मा है : डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि
उन्नत केसरी
कुरुक्षेत्र, 9 अक्तूबर: भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख से उत्पन्न गीता की जन्मस्थली, तीर्थों की संगम स्थली एवं धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के अखंड गीता पीठ शाश्वत सेवाश्रम में चल रही देश के लिए शहीद हुए सैनिकों को समर्पित पितृ मोचनी श्रीमद भागवत कथा के 12 वें दिन व्यासपीठ से महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने कहा कि मानव जीवन की वास्तविकता तथा परमात्मा का साक्षात्कार करने के लिए भागवत पुराण में उतरना होगा। सोमवार की कथा में उन्होंने बताया कि धर्म को लेकर युधिष्ठिर और नारद के बीच जो संवाद हुआ उसे ही शुकदेव महाराज ने राजा परीक्षित को सुनाया।
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कथा प्रारम्भ से पूर्व यजमान जय शंकर, रंजीत सैनी, डा. दीपक कौशिक, डा. सुनीता कौशिक, प्रेम नारायण शुक्ल, पुष्पा शुक्ल, विशाल राणा व रेणू राणा ने महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज के सानिध्य में भारत माता एवं व्यासपीठ का पूजन व आरती की।
कथा व्यास महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने बताया कि सनातन धर्म के 30 लक्षण बताए गए हैं। उन्होंने कथा में सत्य, दया इत्यादि धर्म के 30 लक्षणों की कथा में विस्तार से चर्चा की। बताया कि सत्य स्वरूप ही परमात्मा है। सत्य तत्व को आस्तिक तथा नास्तिक दोनों ही मानते हैं। सत्य को कभी मिटाया नहीं जा सकता है। इस मौके पर डा. दीपक कौशिक, जय शंकर, कृपाल सिंह, रमेश परुथी, राजेश बिश्नोई, राजेंद्र वानप्रस्थी, राम करण, कुसुम सैनी, कांता देवी, पुष्पा, कविता, सुनीता देवी, कल्पना शर्मा, डा. सुनीता कौशिक, रमेश चंद मिश्रा, शकुंतला शर्मा, राजेन्द्र भारद्वाज, दिनेश रावत, मदन कुमार धीमान, प्रेम नारायण अवस्थी, भूपेंद्र शर्मा, जय भगवान शर्मा, मनमोहन शर्मा, अजय शर्मा, प्रेम नारायण शुक्ला, पूर्ण चंद पांडे एवं यमुना दत्त पांडे इत्यादि भी मौजूद रहे।