पुरानी पारंपरिक पाठ्यक्रम प्रणाली पर होगी बीएएमएस एमबीबीएस के समकक्ष

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

  • मिलेगा विद्यार्थियों का स्टाईफंड व अध्यापकों को वेतनमान

कुरुक्षेत्र: बीएएमएस कर रहे विद्यार्थियों के लिए अच्छी खबर है। इस सत्र से परीक्षाएं पुरानी पाठ्यक्रम के आधार पर ही कराई जाएंगी। विद्यार्थियों को हर वर्ष की बजाय डेढ़ साल में एक बार देनी होगी मुख्य परीक्षा देनी होगी। परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र का पेटर्न भी पूरे देश में एक जैसा होगा। इसके साथ ही विद्यार्थियों का स्टाईफंड व अध्यापकों का वेतनमान एमबीबीएस के समकक्ष ही दिया जाएगा। भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग की केंद्रीय कमेटी ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी हैं। श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय से सबंध सभी महाविद्यालयों में सत्र 2022-23 के लिए विद्यार्थियों का दाखिला भी इसी पाठ्यक्रम के आधार पर किया जा रहा है। बुधवार को श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय की अंडर ग्रेजुएड बोर्ड ऑफ स्टडी व फेक्ल्टी ऑफ आयुर्वेद की हुई बैठक में नई प्रक्रिया को लागू कर दिया गया है।

अंडर ग्रेजुएड बोर्ड ऑफ स्टडी व फेक्ल्टी ऑफ आयुर्वेद की डीन प्रो. डॉ. दिप्ती पराशर ने बताया कि बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसन एंड सर्जरी (बीएएमएस) दस साल बाद अपनी पुरानी पारंपरिक पाठ्यक्रम प्रणाली पर लौट आई है। डेढ़-डेढ़ वर्ष के तीन प्रोफेशनल होंगे और एक वर्ष की इंटर्नशीप रहेगी। जिसमें विद्यार्थियों को मुख्य परीक्षा हर साल की बजाए अब डेढ़ साल में एक बार देनी होगी। प्रश्न पत्र का पेटर्न भी पूरे देश में एक जैसा होगा। यह परिवर्तन हर दस साल बाद आयोग द्वारा किया जाता है। उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम के अलावा विद्यार्थियों को नौ अतिरिक्त एच्छिक विषयों में परीक्षाएं देनी होंगी। हर प्रोफेशनल वर्ष में तीन-तीन एच्छिक विषयों को लेना होगा। इनके ग्रेड हर वर्ष जुड़ेंगे। इन विषयों की ऑनलाइन 45 घंटे कक्षा लगानी होगी।
इस बार नए विद्यार्थियों के लिए प्रथम प्रोफेशनल में 15 दिन का प्रस्तावना कार्यक्रम चलाया जाएगा। जो संस्कृति और आयुर्वेद के मूल सिद्धातों पर आधारित रहेगा। इसके अलावा डेढ़ वर्ष में विद्यार्थियों को 320 दिन का वर्किंग डे रहेंगे। इमरजेंसी मेडिसन के बारे में अलग से विद्यार्थियों को पढ़ाया जाएगा। परीक्षा में 40 प्रतिशन प्रश्न बड़े, 40 प्रतिशत छोटे और 20 प्रतिशत आब्जेक्टिव होंगे। बैठक के अन्त में एसोसिएट प्रो. डॉ. अमित कटारिया ने उपस्थित सभी सदस्यों का धन्यवाद प्रकट किया और अधिसूचना से जुड़ी सदस्यों की शंकाओं को दूर किया।

एमबीबीएस के समान मिलेगा विद्यार्थियों का स्टाईफंड व अध्यापकों का वेतनमान

फेक्ल्टी ऑफ आयुर्वेद की डीन प्रो. डॉ दिप्ती पराशर ने बताया है भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग की केंद्रीय कमेटी द्वारा जो अधिसूचना जारी की गई है। उसका सबसे अधिक और बड़ा लाभ यह है कि बीएएमएस के विद्यार्थियों का स्टाईफंड व अध्यापकों का वेतनमान अब एमबीबीएस के समकक्ष ही दिया जाने की बात कही गई है। जो पूरे भारतवर्ष में लागू होगी।
दस साल बाद किया जाता है पद्धति में परिवर्तन 2012 से पहले बीएएमएस प्रोफेशनल डेढ़-डेढ़ वर्ष के तीन होते थे। हर डेढ़ साल में एक बार परीक्षाएं होती थी। साढे चार साल की बीएएमएस होने के बाद एक साल की इंटरर्नशिप करनी जरूरी थी। इसके बाद वर्ष 2012 में भारतीय चकित्सा केंद्रीय परिषद की ओर से बीएएमएस को एमबीबीएस की तर्ज पर प्रत्येक वर्ष में चार बार परीक्षाएं लेने के आदेश जारी कर दिए गए थे। इसके बाद एक-एक वर्ष के तीन और डेढ़ साल का एक बीएएमएस प्रोफेशनल होने लगा। मगर अब केंद्रीय कमेटी द्वारा पूरानी पद्धति को दोबारा लागू करने के आदेश पूरे भारत में जारी कर दिये हैं। श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय ने भी इसे लागू कर दिया है।

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