प्रोस्टेट कैंसर एक गंभीर व जानलेवा बीमारी :डॉ आशीष अनेजा

प्रोस्टेट कैंसर एक गंभीर व जानलेवा बीमारी :डॉ आशीष अनेजा

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

  • राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की के कई संगठनों से चिकित्सा रत्न से सम्मानित है डा. आशीष अनेजा
  • गरीब व जरूरतमंद की सेवा में हमेशा तत्पर डा. अनेजा का पूरा परिवार

कुरुक्षेत्र 14 सितंबर: कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के हेल्थ सेंटर के एडमिनिस्ट्रेटर, गैपियो सदस्य, आर एस एस डी आई मेंबर एवं मेडिकल ऑफिसर, डॉ. आशीष अनेजा के द्वारा ‘प्रोस्टेट कैंसर अवेयरनेस मास’ को लेकर एसोसिएशन रेड क्रॉस सोसाइटी के साथ मिलकर प्रोस्टेट कैंसर को लेकर लोगों को जागरूक किया गया, उनके अनुसार पुरुषों की प्रजनन प्रणाली में मौजूद ग्रंथि पौरुष ग्रंथि यानी प्रोस्टेट में विकसित होने वाले कैंसर को प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है। यह 60 साल से अधिक उम्र वाले लोगों में कैंसर का सबसे प्रमुख प्रकार है। ज्यादातर मामलों में प्रोस्टेट कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है और यहां तक कि कई बार तो इससे किसी प्रकार के लक्षण व अन्य परेशानियां भी नहीं होती हैं। हालांकि, कुछ मामलों में कैंसर आक्रामक होकर गंभीर रूप से बढ़ने लगता है और शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल जाता है। अगर प्रोस्टेट कैंसर से लक्षण हो रहे हैं, तो उनमें आमतौर पर पेशाब में दर्द व अन्य परेशानी होना, पेशाब में खून आना और यौन क्रियाएं सामान्य रूप से न कर पाना आदि शामिल हैं। प्रोस्टेट कैंसर के गंभीर मामलों में प्रोस्टेट से संबंधित हड्डी में भी दर्द हो सकता है। प्रोस्टेट कैंसर की जांच के लिए आमतौर पर दो परीक्षणों का उपयोग किया जाता है। डिजिटल रेक्टल परीक्षण प्रोस्टेट के आकार का अनुमान लगाने।

वहीं दूसरी ओर प्रोस्टेट विशिष्ट प्रतिजन परीक्षण रक्त में पीएसए के स्तर को मापता है। लेकिन कई कारक, जैसे उम्र और नस्ल, पीएसए स्तरों को प्रभावित कर सकते हैं। कुछ प्रोस्टेट ग्रंथियां दूसरों की तुलना में अधिक पीएसए बनाती हैं। केवल एक बायोप्सी ही निश्चित रूप से प्रोस्टेट कैंसर का निदान कर सकती है। शल्य चिकित्सा अर्थात प्रोस्टेटेक्टॉमी एक ऑपरेशन है जहां डॉक्टर प्रोस्टेट को हटाते हैं। रेडिकल प्रोस्टेटक्टोमी प्रोस्टेट के साथ-साथ आसपास के ऊतकों को भी हटा देता है। 40 साल से कम उम्र वाले लोगों में प्रोस्टेट कैंसर काफी कम देखा जाता है और बढ़ती उम्र के अनुसार इसके विकसित होने के जोखिम भी बढ़ने लगते हैं। इसके ज्यादातर मामले 60 साल से अधिक उम्र वाले लोगों में ही देखे जाते हैं। कुछ सामान्य बातों का ध्यान रख कर प्रोस्टेट कैंसर विकसित होने से बचाव किया जा सकता है, जैसे विकिरण उपचार।

कैंसर को मारने के लिए उच्च – ऊर्जा किरणो अर्थात एक्स-रे का उपयोग करना। रेडिएशन उपचार दो प्रकार के होते हैं। इसके अतिरिक्त हार्मोन थेरेपी कैंसर कोशिकाओं को वे हार्मोन प्राप्त करने से रोकता है जिनकी उन्हें वृद्धि करने की आवश्यकता होती है। क्रायोथेरेपी व कीमोथेरेपी के माध्यम से भी इस बीमारी से बचा जा सकता है, क्योंकि यह पद्धति कैंसर को सिकोड़ने या मारने के लिए विशेष दवाओं का उपयोग करना। दवाएं आपके द्वारा ली जाने वाली गोलियां या आपकी नसों के माध्यम से दी जाने वाली दवाएं, या, कभी-कभी, दोनों हो सकती हैं। रेडियोथेरेपी भी प्रोस्टेट कैंसर का इलाज करने के लिए सहायक सिद्ध हुई है। हालांकि, कई बार सामान्य सर्जरी होने के बाद अगर कैंसरयुक्त ऊतक शरीर के अंदर रह गए हैं, तो उन्हें निकालने के लिए भी रेडियोथेरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता है। सर्जरी के माध्यम से भी प्रोस्टेट ग्लैंड में मौजूद कैंसर से प्रभावित ऊतकों को निकालने के लिए सर्जरी प्रोसीजर शुरू की जाती है। सर्जरी से प्रोस्टेट कैंसर का सफलतापूर्वक इलाज होने की दर काफी अधिक है, लेकिन कुछ मामलों में इससे साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। इस बीमारी से बचने के कुछ घरेलू उपाय भी हम प्रयोग में लेकर आ सकते हैं जैसे- जीवनशैली में सुधार लाएं। धूम्रपान न करें, व्यायाम करें, वजन पर काबू रखें। रेशेदार फलों का सेवन करें। हरी सब्जियां भी फायदेमंद होती हैं। डेयरी प्रोडक्ट्स का ज्यादा सेवन न करें, रोजाना ग्रीन टी पीने की आदत डालें, अपने आहार में फल व सब्जियों को शामिल करें, वनस्पति से प्राप्त होने वाले फैट का इस्तेमाल करें जैसे – मक्खन व घी की जगह ऑलिव ऑयल,अधिक शुगर व स्टार्च वाले खाद्य पदार्थों का ज्यादा सेवन न करें जैसे-सफेद ब्रैड व सफेद चावल।