Sharad Purnima 2023: धार्मिक महत्व के साथ एक महत्वपूर्ण पर्व

Sharad Purnima 2023: धार्मिक महत्व के साथ एक महत्वपूर्ण पर्व

उन्नत केसरी

शरद पूर्णिमा, एक पावन और महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो पूनम के दिन मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से शारद ऋतु के आगमन का उत्सव मनाने के लिए जाना जाता है और इसके साथ ही इसके धार्मिक महत्व का भी जिक्र किया जाता है। इस लेख में, हम शरद पूर्णिमा के धार्मिक महत्व पर बात करेंगे और इसे समझेंगे कि यह पर्व क्यों महत्वपूर्ण है।

शरद पूर्णिमा का महत्व हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, और इसे विभिन्न रूपों में पूजा और उत्सवों के रूप में मनाया जाता है। इसके पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक कथाएँ हैं जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं।

शरद पूर्णिमा का महत्व विशेषज्ञता

  1. देवी माँ की पूजा: शरद पूर्णिमा को देवी माँ की पूजा के रूप में मनाने का परंपरागत महत्व है। इस दिन, भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने के साथ-साथ मां लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। इससे लोग मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं और धन, समृद्धि, और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
  2. व्रत और पूजन का महत्व: शरद पूर्णिमा को उपवास (व्रत) करके और मंदिरों में पूजा-अर्चना करके मनाने का महत्व है। इस दिन, विशेष रूप से चंद्र महिलाओं के लिए व्रत करने के लिए प्रेरित करता है, जिसका आदान-प्रदान दिन के आरम्भ में होता है और पूर्णिमा के साथ समाप्त होता है।
  3. व्रत की महिमा: शरद पूर्णिमा का व्रत करने से मान्यता है कि लोग अपने पापों से मुक्त होते हैं और उन्हें आनंद, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह एक पुण्य काल में अच्छा कार्य करने और ध्यान केंद्रित करने का अवसर भी प्रदान करता है।
  4. मां लक्ष्मी के अवतरण का संदेश: शरद पूर्णिमा का आयोजन मां लक्ष्मी के अवतरण के साथ जुड़ा होता है। इस दिन, मां लक्ष्मी अपनी भक्तों के पास आती है और उन्हें आनंद, धन, और सौभाग्य की वर्षा करती हैं।

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शरद पूर्णिमा 2023 पर क्या करें 

इस दिन, ब्रह्म मुहूर्त में उठें और सबसे पहले जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को प्रणाम करें। घर की सफाई करें, ताकि आगमन के दिन शुद्धता बनी रहे। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद, गंगाजल से युक्त पानी से स्नान करें। अगर संभावना हो, तो पवित्र नदी में स्नान करने का अवसर पाएं। स्नान के बाद आचमन करें और अपने आप को शुद्ध करें। नवीन वस्त्र पहनकर भगवान सूर्य को जल का अर्घ्य दें। पूर्णिमा तिथि पर तिलांजलि भी दें। इसके पश्चात, पंचोपचार पूजा करें और विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। याद रखें, भगवान विष्णु को पीले रंग का फल, फूल, और वस्त्र अर्पित करने से प्रिय होता है। पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्र जाप करें। समापन में, आरती-अर्चना करें और पूजा का समापन करें। इसके बाद, आपकी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करें, जिससे आप धार्मिक और नैतिक मान्यता के साथ इस पवित्र दिन को मना सकते हैं।

शरद पूर्णिमा 2023 पर क्या न करें 

  • शरद पूर्णिमा के इस शुभ दिन पर भूलकर भी तामसिक भोजन न खाएं।
  • इस दिन शराब का सेवन करने से बचें।
  • इस खास दिन अपने बाल और नाखून न काटें।
  • आश्विन पूर्णिमा के दिन अपने प्रिय या जीवनसाथी के साथ वाद-विवाद करने से बचें।
  • किसी भी शुभ कार्य से बचें, क्योंकि इस दिन चंद्र ग्रहण भी है।
  • जुए आदि में शामिल होने से बचें।
  • भूलकर भी बड़े-बुजुर्गों का अपमान न करें।

शरद पूर्णिमा हिन्दू धर्म के अनुसार एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व से भरपूर है। इस दिन को देवी माँ की पूजा, व्रत, और ध्यान का अवसर माना जाता है और लोग इसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में भी मनाते हैं। इसे मनाने से लोग आनंद, समृद्धि, और सौभाग्य की प्राप्ति की कामना करते हैं और अच्छे कर्मों का आदान-प्रदान करते हैं।

डिस्क्लेमर-”इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।