मनुष्य डरता क्यों है ? क्या है वायो वैज्ञानिक रहस्य?
भय शब्द एक बहुत छोटा शब्द है पर जब यह मनुष्य पर हावी होता है तो मनुष्य के एक-एक अंग को हिला कर रख देता है। मनुष्य को 40℃ तापमान पर पसीना आ जाता है । आखिर ऐसा क्यों होता है ? इसका वैज्ञानिक कारण क्या है?
भय का मुख्य कारण म्रत्यु होती है और म्रत्यु का मुख्य कारण शरीर का मर जाना होता है या नष्ट हो जाना होता हूं । और शरीर के नष्ट हो जाने से मन , काम , क्रोध , मद , मोह और माया के मर जाने का डर ही मनुष्य को भय के साये में ले जाता है । मन का संबंध प्रकृति के साथ होता है और प्रकृति का संबंध शरीर के साथ होता है । प्रकृति में जो हलचल होती है वही हलचल शरीर में होती है । जब शरीर व मन को यह एहसास होता है कि वो नष्ट होने वाला है या उस पर कोई हमला होने वाला है तो शरीर में नाग उपप्राण डर के संकेत भेजना शुरू कर देता है ।
जब मन , काम , क्रोध , मद , मोह और माया पर हमला होता है तो शरीर अपने आप को सुरक्षित करने के लिए भय का संकल्प लेता है । जब भय का संकल्प लेता है तो शरीर में नाग उप प्राण क्रियाशील हो जाता है तथा शरीर में मौजूद अमृत को विष में बदल देता है । जब नाग उपप्राण यह क्रिया करता है तो शरीर में बहुत ऊर्जा उत्पन्न होती है । जिसके कारण शरीर का तापमान बढ़ जाता है । और तापमान बढ्ने से शरीर काँपने लगता है।
जब मनुष्य मृत्य के भय से बाहर निकल जाता है यानि काम , क्रोध , मोह , माया , मद और मन पर विजय प्राप्त कर लेता है तो मनुष्य को किसी प्रकार का भय और डर नहीं लगता है ।
अगर आप रोजाना यह सोचकर रात को सोते हो कि एक दिन तो मरना ही होगा और जब जागते हो तो भी यही सोचते हो कि मृत्य निश्चित है । अगर आप यह सोचकर दिनचर्या की शुरुआत करते हो तो आपके पास न तो डिप्रेसन होगा और न ही भय होगा।