शिक्षा

श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय केजी टू पीजी का अद्भुत मॉडल :शरण

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
  • श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय सीनियर सेकेंडरी स्कूल के ओरियंटेशन प्रोग्राम में मुख्यातिथि के रूप में पहुंचे अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण
  • नई शिक्षा नीति के अनुरूप केजी टू पीजी मॉडल तैयार करने पर कुलपति डॉ. राज नेहरू को दी बधाई

पलवल: हरियाणा सरकार के शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण ने कहा कि श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय केजी टू पीजी का एक अद्भुत मॉडल है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की पहल पर यह विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति का एक आदर्श प्रतिमान बना है। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने अपने नेतृत्व से केजी टू पीजी मॉडल को साकार किया है। वह बुधवार को श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में स्टूडेंट्स ओरियंटेशन प्रोग्राम में मुख्यातिथि के रूप में बोल रहे थे। इस मौके पर मुख्य अतिथि अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण एवं विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राज नेहरू ने दसवीं के परीक्षा परिणाम में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया।

अतिरिक्त मुख्य सचिव आनन्द मोहन शरण ने कहा कि आने वाले समय में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय पूरे देश में बड़ा नाम होगा और यह स्किल एजुकेशन का लीडर बनेगा। बहुत कम समय में इस विश्वविद्यालय ने अनुकरणीय कार्य संस्कृति बनाई है। मुख्यातिथि आनंद मोहन शरण ने फैकल्टी की सराहना करते हुए कहा कि उनका उत्साह और ज्ञान उल्लेखनीय है। उन्होंने प्रदेश के दूसरे शिक्षण संस्थानों की फैकल्टी को श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय दिखाने का सुझाव दिया। साथ ही उन्होंने अर्न वाइल लर्न अवधारणा की तारीफ करते हुए कहा कि यह बेहद महत्वपूर्ण है। श्री आनंद मोहन शरण ने कहा कि कुलपति डॉ. राज नेहरू के पास बहुत अद्भुत आइडिया हैं और उन्हें व्यवहारिक रूप में लाने का विजन है। देश को स्किल यूनिवर्सिटी का मॉडल देने में डॉ. राज नेहरू का बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि पहले स्किल सैट का अभाव था लेकिन श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय इस दिशा में बहुत शानदार काम कर रहा है। स्वरोजगार की दिशा में इस विश्वविद्यालय ने नई राह दिखाई है। यूनिवर्सिटी इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने की दिशा में काम शुरू कर रही है। इसके लिए सरकार की तरफ से भरपूर सहयोग दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षकों और बच्चों को विदेशों की यूनिवर्सिटी में नया सीखने के लिए भेजेंगे। यह चयन मेरिट के आधार पर होगा।

कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि हरेक माता पिता की अपेक्षा होती है कि हमारे बच्चे अच्छा करें। जब परिस्थिति अच्छी हो और शिक्षण संस्थान अच्छे मिलें तो कल्पना शक्ति बड़ी हो जाती है। विश्वविद्यालय में स्कूल की कल्पना इसी उद्देश्य से की गई। इससे विद्यार्थियों के सोचने के तौर तरीके में बदलाव आएगा। इस स्कूल में विद्यार्थी नौंवी कक्षा से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषय पढ़ कर नवाचार करने लगे हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के दृष्टिकोण के अनुसार विद्यार्थियों को तकनीक और संस्कार दोनों मिलें। इसी लक्ष्य को लेकर श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय सीनियर सेकेंडरी स्कूल अपनी विकास यात्रा पर आगे बढ़ रहा है। हर बच्चे का जीवन में कुछ अलग करने का आइडिया होता है। यह स्कूल विद्यार्थियों को उसे साकार करने के अवसर देता है। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने इस मौके पर रिकोग्नेशन ऑफ प्रायर लर्निंग का जिक्र करते हुए इसमें सहयोग के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण का आभार ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि यह श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय का अनुपम नवाचार है।

डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. ज्योति राणा ने कहा कि श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय सीनियर सेकेंडरी स्कूल स्किल एजुकेशन के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य कर रहा है। इससे दूसरे संस्थानों में भी प्रेरणा जागृत हुई है। प्रो. ज्योति राणा ने विद्यार्थियों से नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया।

प्राचार्य डॉ. जलबीर सिंह ने स्कूल का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि देश के पहले इनोवेटिव स्किल स्कूल का दसवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम शत प्रतिशत रहा है। यहां विद्यार्थियों को स्किल कोर्स पढ़ाए जा रहे हैं। डॉ. जलबीर सिंह ने बताया कि विद्यार्थियों के लिए अत्याधुनिक लैब बनाई गई हैं। विद्यार्थियों को इंटर्नशिप भी करवाई जा रही है। उन्होंने फीडर स्कूल की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि यह उच्च शिक्षा में कौशल के समावेश का बड़ा केंद्र बनेगा। प्राचार्य डॉ. जलबीर सिंह ने अतिथियों का आभार भी ज्ञापित किया।

दसवीं की परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कृत करते मुख्य तिथि अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राज नेहरू, डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. ज्योति राणा और प्राचार्य डॉ. जलबीर सिंह।

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