वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
- मॉरीशिस के विदेश मामले एवं पर्यटन मंत्री नंदकुमार बौद्ध ने कुरुक्षेत्र के पर्यटन एवं तीर्थ स्थलों का किया अवलोकन
- केडीबी सदस्य सौरभ चौधरी ने केडीबी की कॉपी टेबल बुक देकर किया सम्मानित
कुरुक्षेत्र 6 अक्टूबर : रिपब्लिक ऑफ मॉरीशस के विदेश मामले एवं पर्यटन मंत्री नंदकुमार बौद्ध ने कहा कि कुरुक्षेत्र एक विश्व स्तरीय पर्यटन एवं धार्मिक नगरी है। यह धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र अपने आगोश में सांस्कृतिक विरासत को समेट कर रखे हुए है। इस धर्मनगरी में हजारों वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन का मोह भंग करने और कर्म करने का संदेश देने के उद्देश्य से जो गीता के उपदेश दिए, यह उपदेश आज भी पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक है। इन उपदेशों का अनुसरण करने वाले व्यक्ति की तमाम समस्याओं का समाधान संभव है।
पर्यटन मंत्री नंदकुमार बोद्घा वीरवार को कुरुक्षेत्र के पर्यटन स्थलों का अवलोकन करने के उपरांत केडीबी के सदस्यों से अपने मन की बात को साझा कर रहे थे। इससे पहले रिपब्लिक ऑफ मॉरीशिस के विदेश मामले एवं पर्यटन मंत्री नंदकुमार बोद्घा ने ब्रह्मसरोवर, ज्योतिसर के साथ-साथ अन्य पर्यटन और तीर्थ स्थलों का अवलोकन किया। इन तीर्थ स्थलों को देखने के उपरांत मॉरीशस के पर्यटन मंत्री नंदकुमार बोद्घा गदगद हो गए और उन्होंने धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र के पर्यटन स्थलों की जमकर प्रशंसा करते हुए कहा कि सरकार के प्रयासों से धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र आज पवित्र ग्रंथ गीता के कारण आज पूरे विश्व में जाना जाता है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयासों से और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में मॉरीशिस में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया जा चुका है।
इस आयोजन से कुरुक्षेत्र और अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। मॉरीशिस सरकार की तरफ से पवित्र ग्रंथ गीता को लेकर भविष्य में भी कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा ताकि पूरा विश्व गीता के उपदेशों के साथ जुड़ सके। केडीबी सदस्य सौरभ चौधरी ने मॉरीशस के पर्यटन मंत्री को ब्रह्मसरोवर, ज्योतिसर के साथ-साथ अन्य तीर्थ स्थलों के बारे में विस्तार से जानकारी दी और इन तीर्थों के ऐतिहासिक पहलुओं पर प्रकाश डालने के साथ-साथ पवित्र ग्रंथ गीता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड और सरकार की तरफ से केडीबी की कॉफी टेबल बुक भेंट करते हुए कहा कि इस पुस्तक में कुरुक्षेत्र 48 कोस के साथ-साथ तमाम ऐतिहासिक पहलुओं के बारे में जानकारी मिल पाएगी।