- हर रोज सायंकालीन में होता है भोले का शृंगार
- ब्रह्मा जी की जन्मस्थली है नाभिकमल तीर्थ
उन्नत केसरी
कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक 4 अगस्त: कुरुक्षेत्र के प्राचीन महाभारतकालीन ठाकुर द्वारा नाभिकमल मंदिर, में सावन मास के अंतिम सोमवार को शिव भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली। शिवभक्तों ने शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, मिसरी, बेल पत्थर चढ़ाकर विधिवत् पूजा अर्चना की। मंदिर के महंत विशाल दास ने बताया कि इस साल अंतिम सोमवार पर ब्रह्म योग, रवि योग, इंद्र योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। सनातन धर्म में सावन सोमवार का विशेष महत्व है। इस दिन को शिवकृपा प्राप्ति का द्वार माना जाता है।
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जो हर दिन शिव पूजन नहीं कर पाते हैं, वे सावन के अंतिम सोमवार को व्रत रख शिव पूजा कर सकते हैं। भगवान शिव के व्रत को सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन के अंतिम सोमवार पर शिव का जलाभिषेक करने से मुक्ति मिलती है और मनोवांछित फल की भी प्राप्ति होती है।
इस अवसर पर संत समाज के इलावा अन्य भक्त भी मौजूद रहे।